Friday 28 June 2013

सबके द्वारा सबके लिये न्याय

जय हिन्द,
"सबके द्वारा सबके लिये न्याय"

                अब सवाल यह है कि न्याय होगा कैसे और कौन करेगा ? हमारे पास है संगठन और उसका सामाजिक अस्तित्व का सरोकार । हमारे ऊपर होने वाले अन्याय में मुख्य रूप से सरकारी तंत्र है जिसके अविवेक पूर्ण निर्णय हमें सर्वाधिक आघात लगाते हैं। आज किसी भी तरह की मँहगाई को रोकने में सरकार का ढुलमुल रवैया और सत्ता से जुड़े लोगों को फायदा पहुँचाने की नीयत जनता को समुचित लाभ दे...ने से रोकती है। यहीं से हम पर अन्याय शुरू हो जाता है। हमारे देश में हमारे करोड़ों भाईयों के पास पर्याप्त जीवन निर्वाह के न्यूनतम साधन भी नहीं हैं। ऐसे में भी सरकारें खजाने और जेबों को भरने में लगी हैं । अपने लोगों को फायदा पहुँचाने में लगीं हैं। हाँ वे खजाना भरें परन्तु जनता की भूख, प्यास, बीमारी, आवागमन एवं शिक्षा आदि सुविधाओं की समुचित व्यवस्था करने के बाद। नहीं तो बेमतलब है कि बैंक में करोड़ों पड़े हैं पर यहाँ खाने के लाले पड़े हैं।
                इस तरह के सरकारी अन्याय से लड़ने के लिये हमारा एक सुनियोजित संगठन होना ही चाहिये जो प्रत्येक व्यक्ति की सामान्य जीवन शैली को सुनिश्चित कर सके। अब आपका प्रश्न हो सकता है कि देश में इतने सारे संगठन एन जी ओ तो हैं तो नये की आवश्यकता क्यों? ऐसे कई और सवाल हो सकते हैं मेरा निवेदन है कि आप मुझसे प्रश्न पूछें । ताकि संगठन में कोई कमी न रहे। भारत में संगठनों की कोई कमी नहीं है। परन्तु इनका स्वरूप इतना वृ्हद है कि वे प्रत्येक व्यक्ति का कम खर्च में ध्यान ही नहीं रख सकते । इन संगठनों से जुड़ने के लिये हमें दान इत्यादि देना पड़ सकता है। जबकि हम बगैर किसी खर्च के जनता को सारी सुविधायें देना चाहते हैं। हम ऐसा कोई पैसा या फंड इकट्ठा नहीं करना चाहते जो हमारे किसी भी सदस्य को भृष्ठ या बेईमान बना दे । क्योंकि हर तरह के फंड लोगों की नीयत बिगाड़ देते है ।
                 इस संगठन की संरचना इस तरह होगी कि प्रत्येक नागरिक को सारी सुविधायें उसके अपने घर पर ही मुफ्त में मिलें चाहे वो किसी भी स्तर की क्यों न हों। हमारे संगठन की संरचना निम्न प्रकार होगी......
                हमारे संगठन में आस पास के दस परिवारों से एक पंचायत का गठन होगा । इन परिवारों का प्रत्येक सदस्य ही इस पंचायत का पंच होगा । इसमें रंग, जाति , ऊँच- नीच, अमीर- गरीब आदि का कोई भेद नहीं होगा। सबके समान अधिकार होंगे। सारे पंच मिलजुल कर अपने पंचायत क्षेत्र ,( जहाँ उन सदस्य परिवारों के घर बने हुये हैं), की सुख सुविधाओं को सुनिश्चि्त करेंगे। इस तरह दस दस परिवारों की पंचायतों का गठन पूरे गांव में कर देंगे। सभी पंच अपने बुजुर्गों के आशीर्वाद से अपने दैनिक कार्यों को सामान्य ढंग से ही करेंगे और प्रत्येक पंच को सम्मान देंगे।
                इन्हीं परिवारों के बुजुर्ग और पढ़े लिखे पंचों के द्वारा अपनी पंचायत क्षेत्र की न्यायिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था देखेंगे। और प्रत्येक समस्या को अपने स्तर पर ही सुलझाने की कोशिश करेंगे । जरूरत पड़ने पर ही सरकार द्वारा अधिकृ्त अधिकारी की सहायता लेंगे। अपने क्षेत्र में होने वाली प्रत्येक गतिविघि पर जिम्मेदारी पूर्वक नजर रखेगे । यदि कोई सरकारी अथवा गैर सरकारी सन्स्थान द्वारा कोई ऐसी गतिविधि जो पंचायत अनैतिक अथवा गलत समझती है की शिकायत उक्त विभाग के सक्षम अधिकारी से करके उचित समाधान करायेगा। अवैध गतिविधि में लगे किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जायेगा तत्काल कार्यवाही कराई जायेगी। संगठन धरना प्रदर्शन हिंसा इत्यादि से दूर रहेगा ।
               इनका विस्तार एवं कार्यक्षेत्र दस परिवारों का निवास क्षेत्र ही होगा । आवश्यकता पड़ने पर अन्य पंचायतों के सहयोग से ग्राम, नगर, तहसील, ब्लॉ्क , जिला, सम्भाग, प्रान्त अथवा राष्ट्रीय स्तर तक विस्तार किया जा सकता है । यह समस्या के स्तर पर निर्भर करेगा। प्रत्येक पंच की सम्मान पूर्वक सामान्य जीवन शैली को बिना किसी भेद भाव के सुनिश्चि्त करना ही पंचा्यत का उद्देश्य है। यह संगठन पूर्ण रूप से लचीला है । इसमें सकारात्मक सुझावों और संगठन की मजबूती के लिये परिवर्तन किये जा सकते हैं।
जय भारत .............

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